आणंद (गुजरात) में महिलाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला ज्योतिषी, जो वैवाहिक मुद्दों में आपकी मदद कर सकती हैं !!
आज हम आपसे वैवाहिक जीवन की समस्याएं एवं तलाक योग में ज्योतिष किस प्रकार कारगर है, इस पर जानकारी दे रहे हैं-
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हमारे समाज में आज ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे कि विवाह के कुछ महीने अथवा वर्षों बाद ही संबंधित का वैवाहिक जीवन, तलाक की कगार पर पहुंच गया। ज्योतिषीय भाषा से इस बात को यदि समझें तो ऐसे कई योग होते हैं जिसके कारण संबंधित व्यक्ति को वैवाहिक जीवन का सुख पूर्णरूपेण नहीं मिल पाता। हमने अपने अध्ययन में पाया है कि महिलाएं इस मुद्दे को किसी से साझा भी नहीं कर पातीं। या फ़िर ईश्वर की मर्ज़ी मानकर इस दुख को सेहती रहती हैं। अब आनंद शहर की सर्वश्रेष्ठ महिला ज्योतिष आपकी मदद कर सकती हैं। बतौर महिला उनसे आप पूरी बात बता सकते हैं, अपनी कुंडली चेक करवा सकते हैं और पूरी गोपनीयता का हम आपको विश्वास दिलाते हैं।
डिवाइन हीलिंग केयर की संचालिका एवम् एस्ट्रोलॉजर प्रीतिबाला पटेल के अनुसार महिलाओं की जन्मकुंडली में बृहस्पति ग्रह की शुभता एवं पुरुषों की कुंडली में शुक्र ग्रह की शुभता बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह दोनों ही ग्रह विवाह के कारक एवं दांपत्य जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार माने गए है। इसके अलावा भी कई अन्य ग्रह स्थिति एवम् दुर्योग के कारण भी वैवाहिक जीवन नहीं चल पाता तथा व्यक्ति को तलाक तक का सामना करना पड़ता है।
यदि किसी व्यक्ति को वैवाहिक जीवन का पूर्ण सुख प्राप्त नहीं हो रहा अथवा लगातार खराब माहौल उनके वैवाहिक जीवन को तलाक की ओर अग्रसर कर रहा हो, तो बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है दोनों पार्टनर्स की पत्रिका में हम नीचे दिए गए ग्रह योगों एवं स्थितियों को देख लें कहीं इसी कारण से तो समस्या नहीं है। हालांकि इन सब योग का आकलन विवाह के समय कुंडली मिलान के समय किया जाता है। मगर यदि किसी ने लव मैरिज कर ली है अथवा कुंडली मिलाए बिना विवाह कर लिया है, तो विवाह के पश्चात कुंडली को देखकर एवं संबंधित ग्रह का उपाय करने से लाभ मिल सकता है।
आपकी जानकारी के लिए यहां पर, हम कुछ ऐसे ज्योतिषीय योग का वर्णन कर रहे हैं, जिससे आपको इस प्रकरण को समझने में आसानी मिलेगी।
नीच राशि का बृहस्पति-
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जैसा कि हमने ऊपर बताया महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन एवं सुख का मुख्य कारक ग्रह बृहस्पति होता है। जन्मपत्रिका में बृहस्पति ग्रह यदि नीच का है अथवा त्रिक भावों में है अथवा अस्त अवस्था में है, तो ऐसे में संबंधित महिला को विवाह का पूर्ण सुख प्राप्त करने में कठिनाई होती है। ऐसी अवस्था में संबंधित को ससुराल में मान सम्मान ना मिलने की समस्या हो सकती है। बृहस्पति ग्रह के पीड़ित होने पर पति के द्वारा सहयोग ना प्राप्त हो पाना, पति के द्वारा छोटी-छोटी बातों पर डांटना तथा संतानोत्पत्ति में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह भी देखा गया है की बृहस्पति के प्रभावित होने के कारण विवाह के ठीक बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं संबंधित महिला को आने लगती है। उपरोक्त कारणों का सीधा प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ने लगता है। कभी-कभी तो उच्च राशि का बृहस्पति ग्रह भी वैवाहिक जीवन की समस्याएं, रोग भाव में बैठकर दे देता है। स्वाभाविक बात है रोग भाव में उच्च का बृहस्पति मोटापे तथा थायराइड का रोग का कारण बनेगा, ऐसे में स्वास्थ्य एवं संतान पैदा होने की समस्या संबंधित के साथ होगी ही। केंद्र एवं त्रिकोण भावों में बैठकर कारक बृहस्पति अच्छा फल देते हैं वही रोग इत्यादि भावों में बैठकर वे शुभ फल दे पाने में असमर्थ हो जाते हैं। बृहस्पति ग्रह कितने अंश पर हैं तथा अन्य शुभ ग्रहों की स्थिति विशेष तौर पर लग्नेश की स्थिति देखकर उपाय के द्वारा उपरोक्त स्थितियों को ठीक किया जा सकता है |
शुक्र ग्रह का पीड़ित होना-
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ऊपर हमने बात की महिलाओं की जन्म पत्रिका की। अब हम बात करेंगे पुरुषों के जन्मपत्री में शुक्र का नीच का नीच का होना, अस्त होना, पापकर्तरी दोष में होना अथवा त्रिक भावों में होने की। यदि किसी पुरुष की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति उपरोक्त अवस्था में है, तो ऐसे में संबंधित व्यक्ति को पूर्ण रूप से वैवाहिक सुख प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है की शुक्र ग्रह के उपायों को करके वैवाहिक जीवन को सही किया जाए। जन्मकुंडली का निरीक्षण करने के बाद ही प्रभावी उपाय तय किए जा सकते हैं।
सप्तमेश की स्थिति-
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सप्तम भाव का स्वामी ग्रह अर्थात सप्तमेश की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। सप्तमेश पर पाप ग्रहों का प्रभाव तथा सप्तमेश के 6, 8, 12 भावों में बैठने से भी वैवाहिक जीवन पूर्ण सुखी नहीं बन पाता। ऐसे में संबंधित ग्रह के उपाय करने से लाभ प्राप्त हो सकता है। अध्ययनों में देखा गया है कि यदि किसी की जन्मकुंडली में उपरोक्त स्थिति में सप्तमेश बैठा हुआ है तथा सप्तमेश की महादशा अथवा अंतर्दशा चल रही हो तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन की समस्याएं ज्यादा परेशान करती है। ऐसे में आप प्रीतिबाला पटेल से संपर्क कर सकते हैं। महिला होने के नाते वह ना सिर्फ़ महिलाओं के मुद्दों को समझती है, बल्कि बतौर ज्योतिषी वह आपकी सहायता भी कर सकती हैं।
सप्तम भाव पापकर्तरी दोष में-
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यदि सप्तम भाव पापकर्तरी दोष में है तो भी व्यक्ति को पूर्णरूपेण वैवाहिक सुख प्राप्त नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्ति का जीवन, विवाह के उपरांत काफी संघर्षमय में हो जाता है। वह वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए जो बेसिक आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा, मकान इत्यादि होती है, की प्राप्ति के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है।
पाप एवं क्रूर ग्रहों का प्रभाव-
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जन्म पत्रिका के शुभ भावों में अथवा सप्तम भाव में क्रूर ग्रह का प्रभाव भी वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है एवं तलाक की स्थिति के लिए जिम्मेदार बन जाता है। लगभग सभी जानते हैं कि केंद्र के शुभ भाव जैसे कि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम तथा त्रिक भाव जैसे कि अष्टम एवं द्वादश में यदि मंगल बैठ जाए तो मांगलिक दोष का निर्माण होता है। वहीं सप्तम भाव में राहु और सूर्य ग्रह विशेष रुप से वैवाहिक जीवन के लिए कष्टकारक होते हैं।
भाग्येश की स्थिति-
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महिलाओं की कुंडली में भाग्य भाव का स्वामी अथवा सप्तम भाव का स्वामी अर्थात सप्तमेश की स्थिति यदि अष्टम भाव में है, तो ऐसी स्थिति में उनके पति का स्वास्थ्य लगातार प्रभावित हो सकता है। कभी-कभी तो ऐसे ग्रह योगों की स्थिति में संबंधित के पति को लंबी बीमारी अथवा निधन तक हो जाता है। पति के लगातार अस्वस्थ रहने का सीधा प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ना स्वाभाविक हो जाता है।
शक की सुई-
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कई केसों में तो हमने देखा है कि उनका अच्छा खासा वैवाहिक जीवन शक की सुई घूमने के कारण बर्बाद हो गया। पति पत्नी में से किसी को ऐसा लगता है कि वह इस रिश्ते में ईमानदार नहीं है तथा उसका संबंध किसी अन्य से है। जबकि वास्तविक जीवन में ऐसा नहीं होता, लेकिन मात्र लगातार शक करने के आधार पर वैवाहिक जीवन खराब हो जाता है। उल्लेखनीय है कि कुंडली में राहु ग्रह की स्थिति शक को जन्म देती है तथा अच्छे चल रहे वैवाहिक जीवन में भी जहर घोल देने का काम कर देती है। उपरोक्त के अलावा राहु ग्रह का नकारात्मक गोचर एवं महादशा भी ऐसी स्थिति पैदा कर देती है।
तो कुल मिलाकर अगर वैवाहिक जीवन में समस्या है, तो समाधान भी है। प्रत्येक व्यक्ति की जन्मकुंडली एवम् हिस्ट्री अलग-अलग होती है अतः सभी को एक जैसे कॉमन उपाय नहीं बताया जा सकते। इसके लिए संबंधित को दोनों पार्टनर की पत्रिका दिखानी चाहिए। इसके बाद ही कुछ ठोस उपाय हमारे द्वारा बताए जा सकते हैं। लेकिन हम इतना जरूर कहना चाहेंगे की वैवाहिक जीवन में उत्पन्न किसी भी प्रकार की समस्या का निराकरण जितनी जल्दी करवा लिया जाए, उतना अच्छा होता है। अन्यथा वक्त के साथ समस्या नासूर बन जाती है और बात तलाक तक भी पहुंच जाती है।
रिश्ते भले ही ऊपर से बनकर आते हों, लेकिन उन्हें संभालना तो यही पड़ता है। आज छोटी-छोटी बातों पर एवं इगो को लेकर भी बात तिल का ताड़ बन जाती है। इसके लिए भी विशुद्ध रूप से ग्रह स्थितियां ही जिम्मेदार होती है।
यदि आपके भी वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की समस्या है, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम आपकी समस्याओं को पूरी तरीके से गोपनीय रखते हैं तथा सर्वश्रेष्ठ उपाय देने की कोशिश करते हैं।
एस्ट्रोलॉजर प्रीति बाला पटेल
मोबाइल नंबर- 9316258163