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on this dipawali adi laxmi provided peace and energy

15 Oct, 2022 On This Dipawali Adi Laxmi Provided Peace And Energy

On This Dipawali Adi Laxmi Provided Peace And Energy

परमशान्ति, आनंद एवं ऊर्जा बरसाती हैं आदि लक्ष्मी !!

लक्ष्मीजी की कृपा पाने का महापर्व दीपावली हमारे सामने है। इस अवसर पर हम, देवी लक्ष्मी जी के आठ प्रमुख स्वरूपों की जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। आज हम देवी लक्ष्मी के आदि लक्ष्मी स्वरूप के बारे में जानकारी देंगे। इस प्रकार दीपावली तक आपको प्रतिदिन एक-एक स्वरूपों की जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

ऐसा कौन है जो लक्ष्मीजी की कृपा नहीं चाहता? सभी चाहते हैं देवी लक्ष्मी उन पर प्रसन्न हो। और बात यदि व्यापारी बंधुओं की करें, तो उन्हें अपने बिजनेस को बढाने के लिए लक्ष्मी की कृपा की अति आवश्यकता होती है। कहावत भी है, धन ही धन को आकर्षित करता है। जितना धन व्यापार में लगाएंगे, उतना मुनाफा मिलेगा। हम सभी जानते हैं हिंदू सनातन धर्म में चार प्रकार के पुरूषार्थ कहे गए हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष। इसमें द्वितीय पुरूषार्थ अर्थ (धन, व्यापार, नौकरी, आजीविका) लक्ष्मीजी की कृपा से ही प्राप्त हो सकता है। लक्ष्मीजी के आठ स्वरूप कहे गए हैं जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा गया है। अष्टलक्ष्मी की अनुकूलता से चारों ही पुरूषार्थ सिद्ध हो जाते हैं। अष्टलक्ष्मी पूजा अनुष्ठान (विधि) के द्वारा लक्ष्मीजी के आठों स्वरूपों की कृपा एक साथ पाई जा सकती है। साथ ही उपरोक्त चारों पुरूषार्थों को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। जब आपके पास पर्याप्त धन होगा तो धार्मिक कार्य जैसे धाार्मिक यात्राएं, धार्मिक आयोजन आप करेंगे, इससे पहला पुरूषार्थ धर्म सध जाएगा। द्वितीय पुरूषार्थ पर्याप्त धन प्राप्ति का है, धन होगा तो आप व्यापारिक कार्यों में, सुख-सुविधा प्रदान करने वाली वस्तुओं की खरीदारी, दान इत्यादि कार्यों में उपयोग करके दूसरा पुरूषार्थ साध सकते हैं। वहीं, विभिन्न सांसारिक कामनाओं की पूर्ति धन से ही होती हैं। इसके माध्यम से तीसरा पुरूषार्थ भी सध जाएगा। चतुर्थ पुरूषार्थ मोक्ष, उपरोक्त तीनों पुरूषार्थों के पूर्ण होने तथा लक्ष्मीजी की कृपा से वह भी सध जाएगा। इस प्रकार आपने जाना कि अष्टलक्ष्मी जी की कृपा कितनी एवं क्यों आवश्यक है।

यदि आपकी कामना संतान की है तो अष्टलक्ष्मी के एक स्वरूप जिन्हें संतानलक्ष्मी कहा जाता है, की कृपा से यह संभव हो सकता है। आप अपने घर में बरकत (समृद्धि) चाहते हैं, तो धनलक्ष्मी की कृपा से यह संभव है। आप यदि अच्छा वाहन, ऐश्वर्य चाहते हैं तो गजलक्ष्मी के आशीर्वाद से यह संभव है। वहीं यदि आपकी कामना है कि स्वयं की उच्चशिक्षा अथवा आपके बच्चे के भविष्य, उसकी शिक्षा-दीक्षा संबंधी है, तो विद्यालक्ष्मी की कृपा से यह संभव है। आप अच्छी नौकरी चाहते हैं, व्यापार में बढोत्तरी चाहते हैं अथवा नया व्यापार प्रारंभ करना चाहते हैं तो धनलक्ष्मी की कृपा से यह संभव है।

आदि लक्ष्मी का स्तुति मंत्र एवं भावार्थ-

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये ।

मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुुुते ।

पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुुते ।

जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ।

आदि लक्ष्मी की स्तुति उपरोक्त मंत्र से की जाती है जिसका भावार्थ है ऋषि देवताओं द्वारा पूजित, अत्यंत मनोहर रूपवाली, मोक्षप्रदायनी, चंद्रमा की बहन, अत्यंत मधुर बोलने वाली, कमल जिनका आसन है तथा जो गुणों की वर्षा करती हैं, ऐसी माधव की प्रिय आदिलक्ष्मी देवी आप सदैव मेरी रक्षा करें।

आदि लक्ष्मी की महत्ता, स्वरूप, लाभ

आदिलक्ष्मी देवी लक्ष्मी का आदि रूप है। आदि का अर्थ होता है प्रारंभिक अथवा सबसे पहला। अतः आदिलक्ष्मी आप हम सभी के अस्तित्व का मूल कारण है और उनके अस्तित्व के बिना पूरी सृष्टि की कल्पना नहीं की जा सकती है। वस्तुतः आदिलक्ष्मी ही महालक्ष्मी हैं अतः समस्त देवताओं द्वारा आपकी स्तुति की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आदिलक्ष्मी (महालक्ष्मी) ने ही महाकाली, महासरस्वती को उत्पन्न किया है।

आदि लक्ष्मी का स्वरूप अत्यंत मनोहर हैं। वे गुलाबी कमल के फूल पर बैठती हैं, लाल वस्त्र एवं विभिन्न आभूषणों से श्रृंगारित हैं। उनके दो हाथ अभय एवं वरदमुद्रा में तथा अन्य हाथ में कमल एवं श्वेत झंडा चित्रित किया गया है। आदि एक अन्य अर्थ स्त्रोत भी होता है। आदिलक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति का परमशान्ति एवं आनंद का स्त्रोत जाग्रत होने लगता है। इससे ऊर्जा का स्तर बढ जाता है एवं यही ऊर्जा जीवन के लक्ष्यों की सहजता से प्राप्ती करवाती है।

नारायण, कुबैर के साथ की जाती है पूजा

लक्ष्मी जी की पूजा सदैव नारायण के साथ की जाती है। इसके अलावा अष्टलक्ष्मी के सभी स्वरूपों की पूजा कुबैर के साथ करने से इस पूजा का महत्व अत्यधिक बढ जाता है।

लक्ष्मीजी की उत्पत्ति और उनका स्वरूप-

समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मीजी की उत्पत्ति क्षीरसागर से हुई थी। सागर जितना विशाल एवं आकर्षक होता है, ठीक वैसे ही देवी लक्ष्मी बडी उदार अर्थात भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होने वाली, अतिपवित्र, दिव्य हैं। लक्ष्मीजी के चार हाथ हैं, जो मानव जीवन के चार लक्ष्यों धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। लक्ष्मीजी के एक हाथ से सोने के सिक्को की झडी निकलती दिखाई देती है, यह उन्हें धनप्रदायिनी देवी के रूप में दर्शाता है। अन्य एक हाथ आशीर्वाद प्रदान करने की मुद्रा में है। उन्हें कमल का पुष्प अति प्रिय है इसलिए अपने दो हाथों में वे कमल धारण करती हैं। माता लक्ष्मी स्वयं पूरी तरह खिला हुआ कमल जो पानी में तैर रहा है, के आसान पर विराजमान हैं। उल्लेखनीय है कि कमल का पुष्प सौंदर्य, पवित्रता, आध्यात्मिकता एवं प्रजनन क्षमता का प्रतीत है। पानी जीवन एवं षांति का प्रतीक है। माता के दोनों ओर ष्वेत हाथी उनका अभिषेक करते हैं। हाथी षक्ति के साथ-साथ बुद्धिमानी का प्रतिनिधित्व करते हैं। देवी लक्ष्मी जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की पत्नी है अतः आप जगतमाता कहलाईं। आप गतिषील ऊर्जा, धन, भाग्य, विलासिता और समृद्धि की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। आप लाल वस्त्र, आकर्षक आभूषणों एवं अन्य सौभाग्यसूचक चिन्हों से विभूषित रहती हैं। सच तो यह है कि यहां पर उनके दिव्य रूप एवं गुणों का जितना वर्णन किया जाए, कम ही होगा। अब हम आपको यह जानकारी देते हैं कि आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए अष्टलक्ष्मी पूजाविधि किस प्रकार सहायक हो सकती है।

व्यापारिक सफलता, सम्पन्नता, संतान एवं सुख प्राप्ति के लिए करवाएं अष्टलक्ष्मी पूजा विधि (अनुष्ठान)

अष्टलक्ष्मी के अनुष्ठान (विधि) से मानव के समस्त मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। हमारे द्वारा अष्टलक्ष्मी की पूजाविधि विषेष मूहूर्त में, वैदिक ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न करवाई जाती है। पूजा-अनुष्ठान अवधि की वीडियो आपके संदर्भ के लिए प्रेषित किए जाते हैं। अनुष्ठान सम्पन्न होने पर प्रसाद कुरियर से प्रेषित कर दिया जाता है। हमारे कई यजमानों को इस पूजाविधि से काफी लाभ हुआ है तथा वे प्रत्येक वर्ष हमसे यह विधि संपादित करवाते हैं। कार्तिक मास, दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजा विधि का महत्व बढ जाता है अतः आप भी अष्टलक्ष्मी पूजाविधि करवाने के लिए हमारे मोबाइल नंबर 9316258163 पर संपर्क कर सकते हैं। देवी लक्ष्मीजी के स्वरूप की तरह यह अनुष्ठान भी बडा दिव्य होता है। जातक को इसके प्रत्यक्ष परिणाम आगामी माहों में दिखाई देने लगते हैं।

शुभकामनाओं सहित,

एस्ट्रोलॉजर डॉ. प्रीतिबाला पटेल

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