जन्मकुंडली होती है "भाग्य का दर्पण", वर्ष में एक बार ज़रूर चेक करवाएं-
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अपना भाग्य कौन नहीं जानना चाहता? हर कोई अपना भाग्य, अपनी शिक्षा, अपने स्वास्थ्य, अपने व्यवसाय अथवा जॉब, अपने जीवनसाथी, निवास देश में होगा या फिर विदेश में इत्यादि सभी चीजों को जानने के लिए उत्सुक रहता है। कोई अपने शत्रुओं से परेशान है, तो किसी को जॉब में प्रमोशन नहीं मिल रहा, किसी का वीजा नहीं लग रहा, तो किसी का व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है, कोई अपने लोन से परेशान है, तो किसी के पैसे मार्केट में अटके हुए हैं, किसी की प्रॉपर्टी नहीं बिक रही, तो कोई अच्छी प्रॉपर्टी लेने के लिए प्रयासरत है, इत्यादि बातों को लेकर लोग एस्ट्रोलॉजर से अपनी समस्या का समाधान चाहते हैं।
जिस प्रकार दर्पण में हम चेहरा देखकर अपने रूपरंग इत्यादि का आकलन कर लेते हैं। ठीक इसी प्रकार मनुष्य की जन्मकुंडली भी होती है, जिसको देखकर हम यह बता सकते हैं की संबंधित व्यक्ति के साथ क्या समस्या हो सकती है, कितने समय तक यह समस्या रहेगी तथा संबंधित समस्या का निदान क्या है। यही कारण है कि जन्मकुंडली को भाग्य का दर्पण भी कहा जाता है। जन्मकुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति, उनकी महादशा, अंतर्दशा, योग, दुर्योग इत्यादि के आंकलन के आधार पर फलादेश किया जाता है तथा जातक का मार्गदर्शन किया जाता है।
ज्योतिष 'वेद' का दिव्य 'नैत्र' -
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ज्योतिषशास्त्र को वेदों का 'नेत्र' कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि ज्योतिषशास्त्र वेदों का ही एक अंग है। जिस प्रकार हम नेत्रों के जरिए देखकर अच्छे बुरे की पहचान कर लेते हैं उसी प्रकार ज्योतिष के जरिए हम संबंधित व्यक्ति के लिए आने वाला समय अच्छा होगा या फिर बुरा इसकी पहचान करके उन्हें उपाय बता देते हैं। अच्छे समय को और अच्छा बनाया जा सकता है तथा बुरे समय में ज्योतिष के जरिए राहत प्राप्त की जा सकती है।
बिना जन्मपत्री के भी संभव है फलादेश-
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बहुत से लोगों को अपने जन्म का सही समय एवं दिन नहीं ज्ञात होता है। ऐसे में भी प्रश्न कुंडली के माध्यम से हम कुंडली का निर्माण करके सटीक फलादेश कर सकते हैं। कुल मिलाकर बिना कुंडली की जानकारी के भी संबंधित व्यक्ति अपना भविष्य जान सकता है तथा अपनी समस्याओं का निराकरण प्राप्त कर सकता है।
वर्ष में एक बार जरूर चेक करवानी चाहिए कुंडली-
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हमें वर्ष में कम से कम एक बार जरूर अपनी कुंडली अपने एस्ट्रोलॉजर को दिखानी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से हमें ही लाभ प्राप्त होगा। संबंधित वर्ष में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति क्या रहने वाली है इसका यदि हम पूर्व में आकलन अपने एस्ट्रोलॉजर से करवा लेंगे तो हमें उचित दिशा मिल जाएगी।
मान लीजिए कि कोई स्टूडेंट है और संबंधित वर्ष में कोई ग्रह उसकी पढ़ाई में बाधा बनने जा रहा है जो कि उस स्टूडेंट की एकाग्रता में कमी लाने का काम कर सकता है, तो ऐसे में हम बतौर एस्ट्रोलॉजर संबंधित स्टूडेंट अथवा उसके पेरेंट्स को इसकी एडवांस में सूचना दे सकते हैं ताकि वह संबंधित वर्ष में संबंधित ग्रहों का उपाय करके लाभ प्राप्त कर सकें। सीधी सी बात है यदि संबंधित छात्र की कुंडली का यदि एडवांस में ही निरीक्षण नहीं किया जाता तो एकाग्रता की कमी के कारण उसके परीक्षा में कम नंबर आ सकते हैं। ऐसे में स्टूडेंट के पेरेंट्स एवं टीचर स्टूडेंट को दोषी ठहराएंगे कि तुमने ढंग से पढ़ाई नहीं की। लेकिन वास्तव में दोषी तो संबंधित वर्ष के ग्रहयोग ही थे, वह स्टूडेंट नहीं।
ठीक इसी प्रकार यदि कोई व्यापारी भाई को बिजनेस में नुकसान होने का योग बन रहा है, तो हम उसकी जन्मपत्रिका का आकलन करके पूर्व में ही बता देंगे कि आपको इस वर्ष बिजनेस को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक पूंजी नहीं लगानी है अथवा बड़ा लोन नहीं लेना चाहिए, अथवा इन्वेस्टमेंट नहीं करना है। यदि संबंधित व्यापारी भाई को सही समय पर, सही सलाह मिल जाती है तो वह नुकसान उठाने से बच सकता है।
टीवी एवं सोशल मीडिया के उपाय हो सकते हैं खतरनाक-
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आज के समय में हम देखते हैं कि लगभग सभी चैनल्स पर तथा सोशल मीडिया पर एस्ट्रोलॉजर्स की भरमार है। यहां पर वे 12 राशि के जातकों के लिए उपाय बताते हैं। बहुत से ऐसे लोग हमारे अनुभव में हैं जिन्होंने ऐसे उपायों को अपनी राशि के अनुसार अपनाया और उन्हें जीवन में नुकसान हुआ अथवा उन्हें कष्ट उठाने पड़े। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भले ही संबंधित की राशि कॉमन थी, मगर सभी लोगों की ग्रहों की महादशा अलग-अलग होती है तथा संबंधित व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रह भी अलग-अलग स्थितियों में अलग-अलग भावों के हिसाब से बैठकर अपना फल देते हैं। ऐसे में यदि आप संबंधित ग्रह का कोई दान करते है, तो वह ग्रह लग्नेश भी हो सकता है।
ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार लग्नेश अथवा उच्च का ग्रह जो हमारे लिए कारक (लाभप्रद) हो का दान नहीं किया जाता। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति सुने सुनाए उपाय कर लेता है तो उसे नुकसान ही उठाना पड़ेगा। अतः हमें चाहिए कि यदि हम कोई उपाय करना चाह रहे हैं तो अपने एस्ट्रोलॉजर्स की सलाह लेकर ही करें।
ज्योतिष की सहायता से बढ़ा सकते हैं व्यापार-
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प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर कोई ना कोई ग्रह की महादशा एवं अंतर्दशा चलती रहती है। ऐसे में जिन का कार्यक्षेत्र व्यापार है कुछ विशेष ग्रहों की महादशा चलने पर अगर वे उन ग्रहों का उपाय कर लें अथवा करवा लें, तो उनके व्यापार में चार चांद लग सकते हैं। बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि यदि हम व्यापार करने के इच्छुक हैं तो अपनी पत्रिका एवं ग्रहों के द्वारा सपोर्ट करता हुआ व्यापार का चयन करें। ऐसा करने पर निश्चित रूप से ना सिर्फ हम उस व्यापार में सफल होंगे बल्कि हमें प्रचुर मात्रा में धन लाभ भी होगा। आपने अक्सर देखा होगा कि बहुत से लोग व्यापार तो शुरू करते हैं मगर लाभ न मिलने के कारण उसे बंद कर देते हैं। ऐसे भी उदाहरण मिल जाएंगे जिन्होंने एक से अधिक व्यापार में हाथ डाला, मगर सभी में वे असफल ही रहे। निश्चित रूप से उपरोक्त उदाहरणों में उन व्यक्तियों ने उस व्यापार को करने की कोशिश की होगी, जिन्हें करने की अनुमति संबंधित व्यक्ति के ग्रह अनुमति नहीं दे रहे होंगे।
व्यापार के क्षेत्र में यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि संबंधित व्यापार का क्या नाम आपने रखा है। जिस प्रकार बचपन में हमारा नामकरण किया जाता है ताकि संबंधित नाम के प्रथम अक्षर का सुप्रभाव हमें पूरे जीवन-भर मिलता रहे, ठीक उसी प्रकार व्यापार के नाम का प्रथम अक्षर सफलता को आकर्षित कर सकता है।
ज्योतिष के माध्यम से दूर की जा सकती हैं स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें-
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स्वास्थ्य संबंधी चीजों का आकलन एवं निराकरण जन्मकुंडली के प्रथम भाव का स्वामी ग्रह कितना बलशाली अथवा कमजोर अवस्था में है, इससे किया जाता है। इसके अलावा यदि मार्केश ग्रह की दशा चल रही हो, तो व्यक्ति को उच्च स्तर की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं।
ऐसी स्थिति में बहुत जरूरी हो जाता है कि हम अपने एस्ट्रोलॉजर से अपनी जन्मपत्रिका को दिखाकर यह मालूम कर लें की आखिरकार समस्या कहां है। राहु एवं विशेष रूप से केतु कई बार व्यक्ति को ऐसे ऊपरी रोग दे देते हैं जो किसी डॉक्टर के पकड़ाई में नहीं आ सकते। सीधी सी बात है यदि डॉक्टर की पकड़ाई में भी रोग नहीं आएगा एवं वह अंदाजे से ही इलाज देगा, तो रोग कैसे ठीक हो सकता है। और समुचित इलाज ना मिलने की स्थिति में दिन-प्रतिदिन संबंधित व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब ही होता चला जाएगा।
स्टूडेंट को सब्जेक्ट लेने एवं कैरियर बनाने में कर सकता है ज्योतिष खासी मदद-
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आज भी अक्सर स्टूडेंट्स अपने सब्जेक्ट के चयन करने में कन्फ्यूजन का शिकार रहते हैं। कई बार तो देखा गया है घरवालों के दबाव अथवा दोस्तों के प्रभाव में आकर वह अपने विषय का चुनाव कर लेते हैं। और बाद में पछताते हैं। बहुत जरूरी हो जाता है की जन्म पत्रिका के आधार पर हम विषय का चुनाव करें क्योंकि जो विषय हम लेंगे, वही विषय हमें आगे चलकर कैरियर के निर्माण करने में मदद करता है।
शादी के लिए कुंडली मिलान है नितांत जरूरी-
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शादी के लिए वर एवं वधू की कुंडली मिलाई जाती है। इसमें 36 गुण में से कितने गुण प्राप्त हुए तथा मुख्य रूप से अष्टकूट में कितने गुण मिले, यह देखा जाता है। कम गुण मिलने तथा अष्टकूट में पर्याप्त संतुलन ना होने पर संबंधित वर-वधू का वैवाहिक जीवन नर्क बन सकता है। इसलिए विवाह से पूर्व पत्रिका मिलाने की परंपरा है। उदाहरण के तौर पर यदि वर-वधू में से कोई मांगलिक है तो ज्योतिष के अनुसार दूसरे साथी को भी मांगलिक होने से उनमें तालमेल बैठेगा। मांगलिक ना होने की स्थिति में मंगल दोष को काटने वाले अगर कोई योग उनकी पत्रिका में है, तो वह निरीक्षण हम लोग करते हैं। यदि मांगलिक दोष है एवं मंगल दोष कट नहीं रहा, तो ऐसे में प्रभावी उपाय उनको करना चाहिए ताकि उनका ग्रस्त जीवन सुखी हो सके।
यदि किसी का विवाह हो चुका है और उसके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही है तो ऐसे में भी हम उनकी पत्रिका का मिलान करके, यथोचित उपाय एवं मार्गदर्शन करते हैं।
आयु तक का ज्ञान करा देता है ज्योतिष-
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ज्योतिष में मुख्यतः तीन प्रकार की आयु का आकलन होता है दीर्घ, मध्यम एवं अल्पआयु। हालांकि आयु का आकलन करके सत्य-सत्य बताना ज्योतिषीय प्रोटोकॉल एवं मानवीय आधार पर हम उचित नहीं मानते। क्योंकि आयु का निर्धारण करके ईश्वर ने हमें धरती लोक पर भेजा है। आयु की बढ़ोतरी भी परमपिता परमेश्वर के हाथ में है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में ज्योतिष द्वारा इस पक्ष में का आकलन कर कर एक इशारा अथवा संकेत संबंधित जातक को दिया जा सकता है। जैसे कि यदि कोई बहुत बुजुर्ग व्यक्ति कई वर्षों एवं महीनों से अपनी आयु को लेकर संघर्ष कर रहा है, वह पीड़ित अथवा बीमार है तो संबंधित की जन्मपत्रिका के आधार पर यह ज्ञात किया जा सकता है कि उसे कब मोक्ष प्राप्त हो सकता है। सनातन धर्म में, धर्म-अर्थ-काम एवं मोक्ष चार प्रकार के पुरुषार्थ को सिद्ध करने का बोला जाता है। अंतिम पुरुषार्थ मोक्ष ही है। मोक्ष का मतलब हम आत्मा स्वरूप, उस परमात्मा के स्वरूप में कब मिल जाएंगे इसका आकलन, आयु का आकलन।
ज्योतिष का साइंटिफिक अप्रोच के साथ समाधान देता है डिवाइन हीलिंग केयर-
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डिवाइन हीलिंग केयर के माध्यम से लोगों को ज्योतिष का साइंटिफिक अप्रोच के साथ समाधान मिलता है। क्योंकि हम ज्योतिष के परंपरागत ज्ञान को विज्ञान के साथ समायोजित करके प्रैक्टिस करते हैं। कलर थेरेपी एवं फूड थेरेपी इत्यादि आधुनिक चीजों को फलादेश में शामिल करके, लोगों को ज्योतिष केेेेेे माध्यम से लाभ पहुंचाते हैं तथा मूल समस्या की विवेचना करते हैं।
एक मित्र के नाते ना सिर्फ आपकी समस्याओं की पहचान करते हैं बल्कि एक गाइड बनकर संबंधित को समस्या से निकालने की राह भी प्रशस्त करते हैं। ज्योतिष की अन्यान्य विधाओं जैसे कि न्यूूूमैरोलॉजी, लालकिताब, केपी, टैरो कार्ड, रेकी इत्यादि का सम्मिश्रण कर सर्वश्रेष्ठ उपाय क्या हो सकता है, वह अपने से जुड़े क्लाइंट को देने का प्रयास करते हैं। यही कारण है की हमसे जुड़ें लोगों का जीवन आज सुखी एवं संपन्न है।
यदि आपके जीवन में भी किसी प्रकार की समस्या है और आप उसका ज्योतिषीय समाधान चाहते हैं, तो आप निसंकोच हमसे संपर्क कर सकते हैं। डिवाइन हीलिंग केयर के प्लेटफार्म पर हम आपको यह भी आश्वस्त कराना चाहते हैं कि आपकी समस्याओं को हम पूर्णता गोपनीय रखते हैं तथा आपको समुचित मार्गदर्शन देने का प्रयास करते हैं।
एस्ट्रोलॉजर प्रीतिबाला पटेल
फाउंडर एंड डायरेक्टर डिवाइन हीलिंग केयर
मोबाइल नंबर- 9316258163