खुल जाएगी सोई किस्मत इस गणेश चतुर्थी पर श्वेतार्क गणेश जी से !!
श्वेतार्क गणेश जिन्हें 'जागृत गणेश' भी कहा जाता है। इनकी पूजा से धन, व्यापार, बुद्धि विकास का लाभ मिलता है। विघ्न बाधा दूर होने लगती है तथा समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। जिन बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता हो, एकाग्रता की कमी हो उनके पेरेंट्स को अपने बच्चों से सिद्ध किए गए श्वेतार्क गणेश की पूजा करवानी चाहिए। श्वेतार्क गणेश के उपरोक्त गुणों के कारण इन्हें तांत्रिक गणेश के नाम से भी लोग जानते हैं। डिवाइन हीलिंग केयर के नंबर 93162 58163 पर संपर्क करके श्वेतार्क गणेश प्राप्त किए जा सकतेे हैं।
व्यापार में दिलाते हैं लाभ
ऐसे व्यापारी बंधु जिन्हें मेहनत करने के बाद भी व्यापार में लाभ ना मिलता हो, उन्हें व्यापार स्थल पर श्वेतार्क गणेश को रखना चाहिए। व्यापार स्थल पर श्वेतार्क गणेश उत्तर मुख अथवा ईशान कोण में रखना चाहिए। ईशान कोण पूर्व तथा उत्तर के बीच का कोण कहलाता है। व्यापार स्थल पर अगर हम इन्हें रखकर श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं तो धीरे धीरे ग्राहकी बढ़ाने लगती है। व्यापारी बंधु प्राचीन काल से श्वेतार्क गणेश का प्रयोग अपने व्यापार स्थल पर करते आ रहे हैं। इसके अलावा हमारे कुछ क्लाइंट जिन्हें संतान प्राप्ति में बाधा आ रही थी उन्हें श्वेतार्क ने की पूजा करने से कुछ माह बाद ही शुभ समाचार की प्राप्ति हुई है।
केतु ग्रह के शुभ फलों में वृद्धि
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार केतु एक ऐसा ग्रह है जो जन्मकुंडली के जिस भाव में बैठा हो उस भाव से ही संबंधित फल देता है। अच्छे और शुभ भाव में बैठकर तो बहुत अच्छा फल देता है। वही अशुभ भाव जैसे रोग भाव में बैठ जाए तो व्यक्ति को जीवन पर कोई ना कोई रोक देता रहेगा। खर्चे वाले भाव में बैठकर फालतू के खर्चों में बढ़ोतरी करवाता रहेगा। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है जन्मकुंडली के में केतु ग्रह का शुभ होना। श्वेतार्क गणेश की पूजा से केतु ग्रह के शुभ फलों में वृद्धि होने लगती है।
नकारात्मकता होती है दूर-
गणेश जी को गणों के अध्यक्ष का दर्जा प्राप्त है इसलिए उन्हें गणा-अध्यक्ष भी बोला जाता है। शिवजी के जितने भी गण है जैसे भैरव, वीरभद्र, जय, विजय, नंदी इत्यादि सभी गणेश जी के अधीन आते हैं। श्वेतार्क गणेश की पूजा से समस्त गणों की कृपा अपने आप प्राप्त होने लगती है। गणेश जी एवं सभी गणों की स्वत: कृपा प्राप्त होने से घर तथा व्यवसाय स्थल पर किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती।
मिटते हैं विघ्न, बनता है धन का मार्ग-
गणेश जी की आरती में कहा गया है अंधन को आंख देत, कोढ़यन को काया, बाझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। इनकी पूजा एवं प्रसन्नता से उत्तम शारीरिक सुख, संतान सुख, तथा धन की प्राप्ति हो जाती है। उल्लेखनीय है कि कलयुग में दो ही ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा से व्यक्ति को सहजता से धन प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होने लगता है या यूं कह लें इन दोनों देवताओं की पूजा से लक्ष्मी जी प्रसन्न होने लगती हैं। वह देवता है श्री हरि विष्णु और श्री गणेश। आप भी परम पावन श्वेतार्क गणेश की पूजा से अपने जीवन के विघ्नों को हटाकर सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
ऋण प्रकरण में भी मिलता है लाभ
जिन भाइयों के ऊपर लोन इत्यादि चढ़ गया हो तो उन्हें श्वेतार्क गणेश की पूजा अवश्य करनी चाहिए। ऐसे साथियों को गणेश जी के समक्ष ऋणहर्ता गणेश स्त्रोत पढ़ना चाहिए तथा गणेश जी से ऋण का भार शीघ्र हट जाए ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए।
श्वेतार्क गणेश एक सकारात्मक तंत्र
श्वेतार्क गणेश मिट्टी अथवा धातु की प्रतिमा ना होकर कई वर्षों पुराने पेड़ आक की जड़ में धरती के नीचे जंगलों में पाए जाते हैं। विशेष मुहूर्त में इसे प्राप्त करके अभिमंत्रित किया जाता है। श्वेतार्क गणेश की पूजा से रिद्धि सिद्धि और लक्ष्मी जी की कृपा आसानी से प्राप्त होने लगती है, धीरे-धीरे समस्त काम बनने लगते हैं अतः श्वेतार्क गणेश की पूजा को सकारात्मक तंत्र भी कहा जाता है। शाास्त्र कहते हैं श्रद्धावान लभते ज्ञानम् अर्थात श्रद्धावान व्यक्तियों को ज्ञान प्राप्त होता है, सही कर्म का ज्ञान। और सही कर्म से ही फिर लाभ एवं सफलता जुड़े होते हैं। इसलिए श्रद्धा ही ज्ञान, लाभ और सफलता तीनों का मार्ग प्रशस्त करती है। पूर्ण श्रद्धा से की गई श्वेतार्क गणेश की पूजा सदैव लाभ दिलाती है।
श्वेतार्क गणेश के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले मुख्य प्रश्नों के उत्तर आपके रिफरेंस के लिए यहां पर दे रहे हैं-
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स्थान-
श्वेतार्क गणेश को घर के पूजा स्थान अथवा अन्य किसी स्थान पर टेबल पर अथवा चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए इन का मुंह उत्तर दिशा की तरफ हो।
पूजा-
श्वेतार्क गणेश को सुबह शाम जिस प्रकार घर में दीया बत्ती की जाती है उस समय में धूप दीप दिखानी चाहिए। बुधवार चूंकि गणेशजी का दिन होता है इसलिए इन्हें लड्डू एवं दूर्वा अर्पित करनी चाहिए। सप्ताह के अन्य जिलों में भी यह अर्पित किया जा सकता है। पूजा के उपरांत लड्डू को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सकता है। सुबह अथवा श्याम अथवा दोनों समय गणेश जी की आरती यदि आप कर सके तो सोने पर सुहागा होगा।
मंत्र-
सुबह शाम गणेश जी के सामने, गणेश जी के मूल मंत्र ओम गंग गणपतये नमः का यथाशक्ति जप करने मात्र से गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं। हमारे शरीर में जो चक्र पाए जाते हैं उनमें गणेश जी का स्थान मूलाधार चक्र है अतः गणेश जी के पूजन से धीरे-धीरे यह चक्र जागृत होने लगता है। इस चक्र के जाग्रत होने से समाज में हमारा प्रभाव बढ़ने लगता है। आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ एक नई ऊर्जा का संचार भी शरीर में होता है।
घर से बाहर जाने पर-
यदि आप घर बंद करके कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर जा रहे हैं तो आप मानसिक आधार पर इनकी पूजा कर सकते हैं। अथवा यात्रा में इन्हें भी सावधानी पूर्वक साथ ले जा सकते हैं।
लाल सिंदूर एवं फूल-
गणेश जी को लाल रंग का फूल एवं लाल सिंदूर प्रिय है। श्वेतार्क गणेश के सामने एक पात्र/कटोरी में एक चुटकी सिंदूर इन्हें अर्पित किया जा सकता है तथा कटोरी के सिंदूर को आप स्वयं एवं परिवार के सदस्यों को लगा सकते हैं।
जनेऊ-
बुधवार अथवा महीने में अन्य किसी दिन एक या दो इन्हें आप जनेऊ अर्पित कर सकते हैं। घर के पुरुष सदस्य बाद में जनेऊ को गणेश जी का आशीर्वाद मानकर स्वयं धारण कर सकते हैं अथवा जल में प्रवाहित कर सकते हैं।
नारियल-
प्रत्येक बुधवार को श्वेतार्क गणेश को नारियल अर्थात श्रीफल का भोग लगाकर बाद में उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से धन प्राप्ति के योग बनते हैं
श्रृंगार-
सुविधा अनुसार बुधवार अथवा गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी को महीने में एक बार नए वस्त्र एवं मुकुट पहनाया जा सकता है।
पाठ-
श्वेतार्क गणेश के समक्ष अथर्व शीष एवं गणेश नामावली का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मूर्ति खंडित हो जाने पर-
श्वेतार्क गणेश जी की मूर्ति यदि किसी कारण से खंडित अथवा टूट जाती है तो उसे साफ पानी में विसर्जित कर देना चाहिए।
समृद्धि प्राप्ति-
यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में समृद्धि/ बरकत रहे तो आप को जो सैलरी अथवा बिजनेस का पैसा मिलता हो उसमें उसे गणेश जी के सामने थोड़ी देर रखकर गणेश जी की कृपा के लिए धन्यवाद देना चाहिए तब उस पैसे को उपयोग में लेना चाहिए। इस प्रयोग से आप पाएंगे की बरकत होने लगी है।
कितनी गणेश मूर्ति हो घर में-
घर में गणेश जी की तीन मूर्ति नहीं होनी चाहिए। तीन से कम अथवा तीन से अधिक मूर्ति रखी जा सकती है।
विशेष दिन-
गणेश चतुर्थी जिसे संकट चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है इसके अलावा बुधवार, पूर्णिमा का विशेष दिन गणेश जी की पूजा के लिए माने गए हैं। हालांकि प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा तो श्रद्धा के साथ कभी भी की जा सकती है। यदि आप चाहें तो उपरोक्त दिनों में गणेश जी की विशेष पूजा एवं भोग उन्हें अर्पित कर सकते हैं।
कैसे वस्त्र पहन के हो पूजा-
गणेश जी की पूजा के समय हमें लाल, पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। काले रंग के वस्त्र गणेश जी की पूजा के समय नहीं पहनने चाहिए।
तुलसी ना चढ़ाएं-
गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती इसका हमें ध्यान रखना चाहिए।
आप भी परमपावन श्वेतार्क गणेश की पूजा से अपने जीवन के विघ्नों को दूरकर तथा सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। अभिमंत्रित श्वेतार्क गणेश प्राप्ति के लिए संपर्क करें 93162 58163